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खाद्य तेल की कीमतों में और राहत संभव


घरेलू किसानों के सामने आ सकती है समस्या


नई दिल्ली (एजेंसी)। शिकागो कहा कि ऐसा होने पर सरकार को

एक्सचेंज के लगभग आधा घरेलू किसानों के हित साधने के

प्रतिशत मजबूती के साथ बंद होने लिए समुचित कदम उठाने होंगे.

से शनिवार को दिल्ली तेल-तिलहन उपभोक्ताओं को नहीं मिल रहा

बाजार में सोयाबीन तेल की कीमतों में गिरावट का फायदा :


कीमतों में सुधार देखने को मिला सूत्रों के मुताबिक, विदेशों में खाद्य

तेलों के दाम काफी नीचे हैं लेकिन

जबकि आयात भाव के मुकाबले तेलों के भाव टूट गये हैं और

सोयाबीन का स्थानीय भाव कम सरकार ने आयात शुल्क में भी

होने से सोयाबीन तिलहन के भाव ढील दे रखी है. इसके बावजूद

पूर्व-स्तर पर बने रहे. वहीं कीमतों में हुई टूट के मुकाबले

पामोलीन तेल के भाव टूटने के उपभोक्ताओं को उसका 25-30

बीच बाकी लगभग सभी खाद्य प्रतिशत भी लाभ नहीं मिल पा रहा तेल-

तिलहनों की कीमतें

पिछले स्तर पर बंद हुईं.

वहीं बाजार के सूत्रों ने पीटीआई से बात में कहा कि फिलहाल खाद्य


खुदरा कीमतों में खास गिरावट

नहीं आई है ऐसे में कीमतों में और

गिरावट की पूरी गुंजाइश है.

बाजार के जानकार सूत्रों ने

बताया कि सोयाबीन तेल


का आयात कहीं महंगा बैठता है

और इस तेल का स्थानीय भाव भी

कमजोर होने से इसके आयात में

नुकसान है. पामोलीन तेल का भाव

इतना कम है कि इसके आगे कोई

खाद्य तेल नहीं टिकेगा. पामोलीन

इसी तरह सस्ता बना रहा तो अगले

लगभग सवा महीने बाद आने

वाली सोयाबीन, मूंगफली और

बिनौला की फसल की खपत को

लेकर दिक्कत आ सकती है. सूत्रों ने इसका कारण

खुदरा कारोबार में अधिक 

खुदरा मूल्य (एमआरपी)

जरुरत से कहीं ज्यादा

रखा जाना है. सूत्रों ने कहा कि शुक्रवार को


दिल्ली के मालवीय नगर में खुदरा कारोबारियों को

सरसों तेल 140 रुपये प्रति लीटर के भाव पर बिका जबकि वहां से

180-200 रुपये प्रति लीटर के एमआरपी भाव पर सरसों तेल बेचा जा रहा है. उन्होंने कहा कि

सरकार ऐसे सौदों की निगरानी कर सकती है और उनके बिलों की

जांच कर सकती है कि एक सीमा से अधिक कीमत उपभोक्ताओं से

क्यों वसूली जा रही है. सूत्रों का कहना है कि यह तेल 145 रुपये प्रति लीटर से अधिक भाव पर नहीं बिकना चाहिये।थोक कारोबारियों का मार्जिन बेहद कम है।

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