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एक अनोखा शहर ग्वालियर...


ग्वालियर में बाकी हिंदुस्तान की तरह तीन तरीके के मौसम नही होते ! दो ही होते हैं बस ! गर्मी और सर्दी ! बारिश किस चिडिया का नाम है यहाँ कोई नही जानता ! कभी कभार कोई बेवकूफ बादल चला भी आये तो यहाँ के लोग उसे उडन तश्तरी टाईप की चीज मान कर भीड लगा लेते है ! 


अब बादल भी किसके भरोसे आयें इस शहर मे ! ना यहाँ पहाड है ना समुद्र ,जंगल का भी कोसो दूर तक लेना देना नही ! ऐसे मे बादल गरीब रिश्तेदार जैसे इस शहर से दूर दूर ही बने रहते हैं ! 

 गर्मी के दिनो मे नलो से उबलता पानी हासिल होता है और ठंड मे गीजर ठंडे पानी की सप्लाई करता है ! आप साल भर कभी तय नही कर पाते कि नहायें तो कैसे नहायें ! यहाँ का आदमी ठंड मे हफ्ते भर ना नहा कर पानी बचाता है ,इस उम्मीद से बचाता है कि गर्मियो मे दो बार नहा लेगें पर तिघरा का तालाब हर बार हिम्मत हार जाता है और नल आपको मुँह चिढाते नजर आते हैं ! 


ग्वालियर मे ,भिंड मे मुरैना मे कानून की इज्जत करने वाले ,रेड ट्रैफिक लाईट पर रूकने वाले ,बिजली और पानी का बिल देने वाले बेवकूफ और डरपोक माने जाते है ! ऐसे मे यदि सूरज महाराज भी इस इलाके के रहने वाले होते तो यह तय था कि वो सर्दियो मे रोज हाजरी देते और गर्मियो मे बिना छुट्टी लिये गायब रहते ! 


ग्वालियर मे तभी रह सकते है आप जब आप कुल्फी की तरह जमने या आईसक्रीम की तरह पिघलने के लिये तैयार हों ! यहाँ घर से तभी निकलना ठीक होता है जब घर की छत गिरने का अंदेशा हो ! बॉस ऑफिस ना आने पर नौकरी से निकाल देने की धमकी दे रहा हो ! आपकी सर्विस रिवॉल्वर आपकी गुस्सैल बीबी के हाथ लग गई हो या दिल का दौरा ही पड गया हो आपको और एंबुलैंस दरवाजे पर खडी हो ! 

ये मौसम ही है जिसने इस इलाके के लोगो के सींग निकाले हुये है ! लोग अख्खड है ! बोलने बतियाने के तरीके ऐसे है कि आप सहम जायें ! यहाँ आप किसी से रास्ता भी पूछेगें तो इसे लडने का न्यौता मान सकता है ! इनसे ऐंठ कर बात करने की गलती ना करें ! सामने वाला आपकी कॉलर पकड कर आपको ओधां कर सकता है ,कट्टा भी निकाल ले तो बडी बात नहीं ! 


वैसे लोग दिल के बुरे नही हैं यहाँ के ! जो भी गडबड है मौसम की वजह से है ! मौसम ही ऐसा है कि यहाँ के बांशिंदें भन्नाये भन्नाये से घूमते हैं ! हाँ इनसे जान पहचान हो जाये तो ये बुरे वक्त मे भी आपके साथ बने रहते हैं ! हाँलाकि ग्वालियर मे रहना ही बुरे वक्त से दो चार होना है पर इसमे यहाँ रहने वालो की कोई गलती नही है ! 


बार्डर पर जूझने वालो मे इस इलाके के लोग केवल इसलिये भरे पडे है क्योकि यहाँ अधमरे रहने के बजाय फौज मे शामिल होकर गोलियो का सामना करते हुये जिंदा बने रहना ज्यादा बेहतर विकल्प है ! 


ठंड तो फिर भी रजाई कंबलो के भरोसे कट जाती है पर इस नामुराद गर्मी का क्या करें ! इन दिनो यहाँ पारा प्रेट्रौल की कीमतो को मात करता है ! अखबार रोज बताता है कि आज का दिन पिछले दस सालो मे सबसे गरम दिन था ! ऐसे मे जब गर्मी अपने ही पुराने रिकार्ड तोडने पर उतारू हो तो यहाँ के रहने वाले तोड फोड करेगें ही ! तंदूर मे झोंक दिये आदमी से बुद्ध की तरह शांतिपूर्वक बर्ताव करने की उम्मीद की भी कैसे जा सकती है ! 


मेरी सलाह तो यही है ,यहाँ आयें कभी तो यहाँ के रहवासियो के रूखे बर्ताव से परेशान ना हो ! आप को सहानुभूति होना चाहिये इनसे ! आप तो आकर चले जायेगे पर इन्हे तो हमेशा यहीं बने रहना है ! 


ग्वालियर रह कर तो देखें कभी ! पक कर स्वादिष्ट होने की ग्यारंटी है ग्वालियर ! सोलर कुकर जैसे इस शहर में हर एक दिन बिताने के बाद आप खुद के जिंदा होने पर हैरान होगें !  पूरा साल बिता लें तो आप भी पुनजन्म मे भरोसा करने लगेगे, ये तय है !

 

  ✍🏻 राम कुमार सिंह 

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