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जानें भारत के प्रधानमंत्री की सुरक्षा व्यवस्था कैसी होती है?




वर्ष 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के दौरान पहली बार प्रधानमंत्री की सुरक्षा व्यवस्था में सेंध लगायी गयी थी. जिसके बाद प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए एक विशेष सुरक्षा बल का गठन किया गया था| हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पंजाब दौरे के दौरान सुरक्षा में चूक के चलते फिरोजपुर रैली रद्द करनी पड़ी. इस लेख में प्रधानमंत्री की सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं जैसे सुरक्षा बलों के हथियार और उपकरण, उनके वाहन एवं प्रधानमंत्री के हवाई परिवहन आदि का विवरण दिया गया है|


हाल ही में बुधवार (5 जनवरी 2022) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पंजाब दौरे के दौरान सुरक्षा में चूक के चलते फिरोजपुर रैली रद्द करनी पड़ी. उनके काफिले को एक फ़्लाइओवर पर लगभग 20 मिनट तक रुकना पड़ा था. इसके लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार से तत्काल रिपोर्ट मांगी और सख्त कार्रवाई की.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने फिरोजपुर की जनता से बैठक में कहा, "प्रधानमंत्री आप सभी से मिलना चाहते थे, लेकिन कुछ कारणों से वह आज हमारे बीच नहीं जा रहे हैं. प्रधानमंत्री ने कहा है कि इन कार्यक्रमों को स्थगित कर दिया गया है, रद्द नहीं किया गया है." इसके बाद प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक को लेकर बड़ी बहस छिड़ गई.


इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारत के प्रधानमंत्री की सुरक्षा व्यवस्था हमेशा सुरक्षा-एजेंसियों के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती रहा है. इस बात को नजरंदाज़ नहीं किया जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी जहां से गुजरते हैं वहां जमीन से लेकर आसमान तक चप्पे-चप्पे पर नजर रखी जाती है|


हर तरफ  एसपीजी (विशेष सुरक्षा दल)  के जवान तैनात रहते हैं| उनकी चौबीस घंटे की सुरक्षा की जिम्मेदारी SPG  पर होती है। यहीं आपको बता दें कि उनकी सुरक्षा में विभिन्न घेरों के तहत एक हजार से ज्यादा कमांडो तैनात रहते हैं| यानी भारत के प्रधानमंत्री की सुरक्षा व्यवस्था दुनिया के किसी भी दूसरे देश के राष्ट्राध्यक्ष की सुरक्षा व्यवस्था की तरह चाक-चौबंद होती है|


एसपीजी के निशानेबाज किसी भी आतंकी को पल-भर में धूल चटाने की क्षमता रखते हैं। एसपीजी में तकरीबन 3000 जवान होते हैं। इन पर प्रधानमंत्री और पूर्व प्रधानमंत्रियों के अलावा उनके परिजनों की सुरक्षा की भी जिम्मेदारी होती है। इन जवानों को अमेरिका की सीक्रिट सर्विस की तर्ज पर ट्रेनिंग मिलती है। एसपीजी के जवान FNF-2000 असॉल्ट राइफल, ऑटोमैटिक गन और 17 एम नामक खतरनाक पिस्टल जैसे आधुनिक हथियारों से लैस रहते हैं|

एसपीजी के अलावा प्रधानमंत्री की सुरक्षा में दिल्ली पुलिस की भी अहम भूमिका होती है।

अगर प्रधानमंत्री को किसी सम्मेलन को संबोधित करना होता है, तो सारे इलाके की छानबीन दिल्ली पुलिस की सिक्योरिटी ब्रांच एक दिन पहले ही कर लेती है, जबकि प्रोग्राम के दिन सम्मलेन स्थल को एसपीजी के कमांडो द्वारा घेर लिया जाता है| आमतौर पर प्रधानमंत्री के लोकल प्रोग्राम्स में एसपीजी के प्रमुख खुद उपस्थित रहते हैं। अगर एसपीजी प्रमुख किसी वजह से उपस्थित नहीं रहते हैं, तो कोई आला अधिकारी सारे इंतजाम की देखरेख करता है। जब प्रधानमंत्री अपने सरकारी आवास से सम्मलेन में भाग लेने के लिए निकलते हैं, तो पूरे रास्ते पर सड़क के एक तरफ के ट्रैफिक को 10 मिनट पहले रोक दिया जाता है| इस बीच, दिल्ली पुलिस की दो गाड़ियां सारे रूट पर सायरन बजाती हुई घूमती हैं। यह इसीलिए किया जाता है ताकि तय किया जा सके कि जिस रस्ते से पीएम को गुजरना है, वह पूरी तरह से साफ है| इसके अलावा प्रधानमंत्री के सात लोक कल्याण मार्ग स्थित आवास में भी एसपीजी के 500 से ज्यादा कमांडो तैनात रहते हैं।

अब बात करते हैं प्रधानमंत्री के काफिले की 

प्रधानमंत्री के काफिले में दो बख्तरबंद बीएमडब्ल्यू 7 सीरीज सेडान, छह बीएमडब्ल्यू एक्स 5 और एक मर्सिडीज बेंज एम्बुलेंस सहित एक दर्जन से अधिक वाहन शामिल होते हैं। इसके अलावा एक टाटा सफारी जैमर भी काफिले के साथ चलता है| पीएम के काफिले में सबसे आगे और सबसे पीछे दिल्ली पुलिस सिक्योरिटी स्टाफ की गाड़ी होती है। इसके बाद एसपीजी की गाड़ी और उनके पीछे दो गाड़ियां और होती हैं, इसके बाद लेफ्ट और राइट साइड से में भी दो गाड़ियां होती हैं और बीच में रहती है प्रधानमंत्री की गाड़ी जो कि बुलेटप्रूफ होती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काफिले में अब एक नई कार और जुड़ गई है. यह कार है Mercedes-Maybach S 650 Guard। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काफिले में बीएमडब्ल्यू 7 सीरीज हाई-सिक्योरिटी एडिशन, लैंड रोवर रेंज रोवर वोग और टोयोटा लैंड क्रूजर जैसी कारें भी शामिल हैं।

हमलावर को भ्रमित करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री के काफिले में प्रधानमंत्री की कार के समान दो डमी कारें भी चलती हैं| जैमर से लैस गाड़ी के ऊपर बहुत-से एंटीना लगे रहते हैं| ये एंटीना सड़क के दोनों तरफ लगभग 100 मीटर की दूरी पर रखे विस्फोटकों को डिफ्यूज़ कर सकते हैं।  इन सभी गाड़ियों में एनएसजी के अचूक निशानेबाज कमांडो होते हैं। यानी प्रधानमंत्री के साथ करीब 100 लोगों की टीम उनकी सुरक्षा के लिए चल रही होती है। जब पीएम पैदल चलते हैं, तो भी उनके आस-पास और आगे-पीछे वर्दी और सादे कपड़ों में एनएसजी के कमांडो चलते हैं।

ऐसा बताया जाता है कि अगर पीएम की कार पर अचानक किसी ने हमला किया तो उसे मौत के आलावा कुछ हासिल नही होगा क्योंकि इस कार पर अगर किसी ने आधुनिक हथियार जैसे एके 47 और बम से हमला करता है तो कार के अंदर बैठें शख्स पर इसका कोई असर नही होगा। यहां तक कि पीएम के BMW की 7 सीरिज की कार पर किसी ग्रेनेड का भी असर नही होता है। यदि कोई पास में आकर खिड़की के पास से 44 कैलिबर की हैंडगन से हमला करे तो भी कांच पर कोई असर नही होगा क्योंकि यह पूरी तरह से बुलेटप्रूफ होता है। यही नहीं अगर किसी कारणवश आपात स्थिति में कार के टायर पंचर हो जाते हैं या फट जाते हैं तब भी इस कार को 90 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से 320 किलोमीटर तक भगाया जा सकता हैं।


 एसपीजी कमांडो  की कार्यप्रणाली एवं उनके हथियार : सुरक्षा मामलों के विशेषज्ञों से पता चलता है कि, एसपीजी कमांडो के पास बेल्जियम से इम्पोर्ट की गई 3.5 किलो की राइफलें होती हैं। ये एक मिनट में 850 राउंड फायर करने की क्षमता रखती हैं। इनकी रेंज 500 मीटर तक होती है। कुछ कमांडो के पास सेमी-ऑटोमैटिक पिस्टल भी रहती है। कमांडो हल्की बुलेट-प्रूफ जैकेट पहने रहते हैं। ये 2.2 किलो की होती हैं। इनके घुटने और कुहनी के लिए पैड होते हैं। कमांडो काले चश्में पहनते हैं, ताकि वे आस पास के स्थलों पर नज़र रख सके और किसी को  उनपर शक भी न हो। इस चश्में को इस तरह से बनाया जाता है कि हमले के वक्त भी वो आसानी से देख सकते हैं। अचानक गोलीबारी के दौरान पीएम की रक्षा के लिए ये जवान दुश्मन के आगे खड़े हो जाते हैं और पलक झपकते ही दुश्मन को गोलियों से भुन डालते हैं। एसपीजी के जवान हमेशा एल्बो गार्ड और ऐसा जूता पहनते हैं जो ज़मीन पर फिसलता नही हैं और इनके हाथ में एक विशेष दस्ताना होता है जिसके कारण उनके हाथ से हथियार फिसलता नही है और उन्हें चोट भी नही लगती है। इन्हें ट्रेनिंग के दौरान मार्शल आर्ट की विशेष ट्रेनिंग भी दी जाती है, जिससे ये लोग बिना हथियार के भी कई हमलावरों पर भारी पड़ते हैं|


अब प्रधानमंत्री के विमान पर एक नज़र डालते हैं :

जब प्रधानमंत्री देश के किसी दूसरे शहर या विदेशी दौरे पर जा रहे होते हैं, तो उनकी हवाई यात्रा की सारी जिम्मेदारी एयरफोर्स की होती है। हवाई यात्रा के लिए प्रधानमंत्री सीधे एयरपोर्ट के टेक्निकल एरिया में दाखिल होते हैं। यह इलाका दिल्ली में ‘द्वारका’ के पास स्थित है। प्रधानमंत्री के एयरपोर्ट पहुंचने से पहले वहाँ एयर फोर्स के दो बोइंग विमान तैयार खड़े होते हैं। अगर एक में अंतिम समय में गड़बड़ी हो, तो स्टैंडबाई के लिए खड़े विमान से प्रधानमंत्री अपनी यात्रा पर निकलते हैं| इस फ्लाइट का नंबर हमेशा AI 1 होता है| प्रधानमंत्री के विदेश दौरों के लिए 'एयर इंडिया वन' बोइंग 747-400 विमान का इस्तेमाल किया जाता है। प्रधानमंत्री का विमान जब उड़ान भरता है, तो उससे कुछ मिनट पहले सारे इलाके को नो फ्लाइंग जोन में तब्दील कर दिया जाता है। उस दौरान कोई फ्लाइट न उतर सकती है, न उड़ सकती है। उनके विमान में भी उनका अपना स्टाफ और एनएसजी के गार्ड्स रहते हैं। विमान में एक बेडरूम और छोटा-सा कॉन्फ्रेंस रूम भी होता है।

अंत में जेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा को नज़र अंदाज़ नहीं किया जा सकता हैं

जानिए Z+ सुरक्षा क्या होती है ? 

जेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा  राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड या एनएसजी के कमांडो द्वारा मुहैया कराया जाता है जिन्हें बोलचाल की भाषा में ‘ब्लैक कैट’ भी कहा जाता है| एनएसजी एक विशेष सैन्य बल है जिसे विशेष रूप से आतंकवाद विरोधी गतिविधियों के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। एनएसजी के कमांडो अत्याधुनिक एमपी-5 बंदूकें और आधुनिक संचार उपकरणों से लैस होते हैं| इसके अलावा प्रत्येक कमांडो मार्शल आर्ट और निहत्थे युद्ध कौशल में भी निपुण होते हैं| जेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा व्यवस्था के तहत  36 सशस्त्र कमांडो चौबीसों घंटे एक व्यक्ति की सुरक्षा करते हैं|

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