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जानिए सावन में क्यों नही खाना चाहिए नॉनवेज; माँस-मछली के सेवन के क्या है नुकसान, जानिए सच्चाई

सावन का मौसम सेहत के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। धार्मिक दृष्टि से देखें तो इस मौसम में भगवान शिव की पूजा के कारण मांसाहार का सेवन वर्जित है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी देखा जाए तो इस महीने में मांसाहार का सेवन नहीं करना चाहिए। इस महीने रिमझिम बारिश होती रहती है। वातावरण में फंगस, फफूंदी और फंगल इंफेक्शन बढ़ने लगते हैं। खाने-पीने का सामान जल्दी खराब होने लगता है, क्योंकि सूर्य चंद्रमा की रोशनी का अभाव हो जाता है, जिससे खाद्य पदार्थ जल्द संक्रमित हो जाते हैं।


पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है

सावन के महीने में लगातार बारिश होने से आर्द्रता और नमी बढ़ जाती है, जिससे हमारी पाचन अग्नि कमजोर हो जाती है। मांसाहार पदार्थों को पचने में ज्यादा समय लगता है। पाचन शक्ति कमजोर होने से नॉन-वेज फूड आंतों में सड़ने लगते हैं। पेट भारी लगने लगता है। चूंकि हमारा पूरा शरीर हमारे पाचन अग्नि पर ही निर्भर है, जिससे हमारी तबीयत खराब हो जाती है। अग्नि ही हमारे शरीर के सप्त धातुओं का निर्माण करने में सक्षम होती है। यूं कहे कि पाचन अग्नि ही हमारे सप्त धातुओं की गुणवत्ता को निर्धारित करती है।


जानवर भी हो जाते हैं बीमार : वातावरण में कीड़े, मकोड़े की संख्या बढ़ जाती है। कई बीमारियां जैसे डेंगू, चिकनगुनिया होने लगती हैं, जो जानवरों को भी बीमार कर देती हैं। इनका मांस सेवन करना हानिकारक है।

इस समय देर से पचने वाला भोजन नहीं करना चाहिए।

जानवर जो घास-फूस खाते हैं, उसके साथ बहुत सारे जहरीले कीड़े सेवन कर लेते हैं, इससे जानवर बीमार हो जाते हैं। उन्हें भी संक्रमण हो जाता है। जानवरों का मांस शरीर के लिए बहुत ही नुकसानदायक साबित हो जाता है।


इस मौसम किन जड़ी-बूटियों का सेवन करें : सावन महीने में पाचन अग्नि को दुरुस्त रखने के लिए गिलोय, नीम, तुलसी, चित्रक, दालचीनी, पीपली, सौंफ, सेंधा नमक खाएं।


मछली अंडे देती है, उसका सेवन हानिकारक है

इस समय मछली अंडोत्सर्ग करती है। उसका सेवन करने से बीमारी का खतरा रहता है। अन्य पशुओं के गर्भधारण-प्रजनन का यह समय होता है। इनके शरीर में हार्मोनल परिवर्तन होता है, इस समय खाना सही नहीं है।


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